Kedarnath Me Ghumne ke sthaan: Places to visit in Kedarnath
केदारनाथ मंदाकिनी नदी के किनारे पर स्थित, उत्तराखंड राज्य में एक धर्म स्थल शहर है ।
यहां पर भगवान शिव का मंदिर है, जिसे केदारनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।
हिंदुओं की प्रमुख चार धाम यात्रा में, यह भी एक धाम यात्रा होती है। हिंदुओं की मोक्ष धाम यात्रा के रूप में प्रसिद्ध है। इसीलिए यहां पर प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं।
केदारनाथ भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग है, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है। भगवान शिव के धाम यात्रा के अलावा भी, यहां पर बहुत सारे पर्यटन स्थल है। बर्फ से ढके हुए पहाड़, स्नोफ्ल।
आज के इस पोस्ट के अंदर हम भगवान शिव से जुड़ी केदारनाथ धाम यात्रा के बारे में विस्तृत रूप से आपको बताएंगे।
- यात्रा किस समय करनी चाहिए
- यात्रा का खर्चा क्या आएगा
- पर्यटन स्थल कौन-कौन से हैं
- किस प्रकार किस टाइप केदारनाथ पहुंचा जा सकता है
- किस मौसम में केदारनाथ जाना चाहिए
केदारनाथ के प्रसिद्ध मंदिर एवं पर्यटन स्थल आदि के बारे में पूर्ण रूप से आपको बताया जाएगा ।
केदारनाथ में घूमने की स्थान | Kedarnath Me Ghumne ke sthaan
केदारनाथ के दिलचस्प तथ्य
पौराणिक काल में इस मंदिर का निर्माण पांडवों के द्वारा किया गया था। फिर दोबारा इस मंदिर का पुनर्निर्माण आदि शंकराचार्य जी ने करवाया था।
इस मंदिर के निर्माण में पत्थरो को, इस प्रकार से इंटरलॉकिंग करके सेट किया हुआ है, जो आज भी इसी ही स्वरूप में मौजूद है।
केदारनाथ मंदिर पहाड़ों के बीच घिरा हुआ है, इसके तीन ओर पहाड़ है, इसी वजह से यह मंदिर बहुत ही भव्य और सुंदर दिखता है।
केदारनाथ का मंदिर पांच नदियों के संगम तट पर स्थित है - मधु गंगा, मंदाकिनी, क्षीर गंगा, सरस्वती और स्वर्ण गोरी नदी ।
पौराणिक काल में राजा केदार ने इसी स्थान पर राज किया था। उनके नाम पर ही केदारनाथ नाम पड़ा ।
महाभारत काल किस में पांडवों और कौरवों में युद्ध हुआ था, उस युद्ध में पांडव विजयी हुए। लेकिन पांडवों को यह पश्चाताप हो रहा था, कि हमने भाइयों से लड़ाई लड़ी है। इसी पाप की मुक्ति के लिए उन्होंने भगवान शिव की शरण में जाना उचित समझा ।
भगवान शिव पांडवों पर प्रसन्न हो गए थे, लेकिन पांडवों को दर्शन देकर, चकमा देकर चले जाते थे। पांडव भी भगवान शिव के पीछे - पीछे इस केदारनाथ भूमि पर आ गए थे।
इसी केदारनाथ भूमि मंदिर पर आकर ही भगवान शिव उन्हें दर्शन देते हैं और शिवलिंग अपने आप प्रकट होता है। फिर इसी स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण भी पांडवों द्वारा ही करवाया जाता हैं।
केदारनाथ में प्रसिद्ध मंदिर एवम् पर्यटन स्थल (Famous temples and tourist places in Kedarnath)
केदारनाथ देव भूमि पर भगवान शिव का केदारनाथ मंदिर के साथ-साथ अन्य भी पर्यटन स्थल मौजूद है।
अगर आप कम से कम 4 दिन का टूर बनाते हो, तो आपके लिए केदारनाथ का आराम से सभी पर्यटन स्थल घूमना और मंदिरों में दर्शन करना सुलभ हो सकता है।
आइए जानते हैं केदारनाथ के कुछ प्रसिद्ध मंदिर एवं पर्यटन स्थल: places to visit in Kedarnath
भैरवनाथ मंदिर
केदारनाथ मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर एक पहाड़ी की चोटी पर, भेरव नाथ का मंदिर है। केदारनाथ में भगवान शिव के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु भैरवनाथ के जरूर दर्शन करते हैं।
भैरवनाथ मंदिर पहाड़ी की चोटी पर होने पर, इस मंदिर पर आने वाले श्रद्धालुओं को पूरी केदारनाथ घाटी का शानदार एवं सुंदर दिखाई देता है।
त्रियुगी नारायण मंदिर
त्रियुगी नारायण मंदिर सोनप्रयाग से 10 - 12 किलोमीटर दूर है। यह एक गांव है और इस गांव का नाम भी त्रिपुरी नारायण है ।
पौराणिक काल में ईसी ही स्थान पर भगवान शिव ने पार्वती से शादी की थी और पार्वती के भाई भगवान विष्णु थे, जिन्होंने संपूर्ण व्यवस्था करवाई। इसी कारण ही भगवान विष्णु के अतिथि सम्मान के रूप में त्रियुगी नारायण मंदिर बनवाया था ।
गौरीकुंड
मनुष्य की मोक्ष और आध्यात्मिक का मुख्य प्रवेश द्वार माने जाने वाला गौरीकुंड, मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। यह समुद्र तल से 2000 मीटर ऊंचाई पर स्थित है।
यहां के आसपास का दृश्य बहुत हरा भरा और शांत है जिसकी वजह से यहां पर आने वाले श्रद्धालु पर्यटकों के मन को सुकून और शांति मिलती है।
चोराबारी झील
चोराबारी नामक ग्लेशियर से निकली हुई यह झील, गौरीकुंड से थोड़ी ही दूर जाने 17 किलोमीटर दूर है।
पर्यटकों के लिए यह बहुत ही आकर्षक का केंद्र है। महात्मा गांधी की अस्तियां भी इसी झील के अंदर प्रवाहित की गई थी ।
इसी झील के पास भैरव का भी एक प्रसिद्ध मंदिर है। इसी स्थान पर भगवान शिव ने सप्त ऋषियों को योग संदेश का उपदेश दिया था।
अगर आप केदारनाथ जाते हैं और भैरव मंदिर नहीं जाते हैं, तो यह आपके लिए यात्रा अधूरी रह जाती है।
इसीलिए भैरव मंदिर जाना जरूरी है और यहां पर यह एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल भी है।
सोनप्रयाग
सोनप्रयाग केदारनाथ से 20 किमी दूरी पर स्थित है। यहां पर पहाड़ बर्फ से ढके हुए है। जो एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल भी है, पौराणिक शास्त्रों के अनुसार सोनप्रयाग में भगवान शिव और पार्वती विवाह का आयोजन हुआ था ।
सोनप्रयाग के अंदर दो नदियों का मिलन होता है, मंदाकिनी एवं वासुकी नदी। इस संगम पर अगर कोई व्यक्ति जल का स्पर्श करता है या स्नान करता है, तो उसे मोक्ष यानी बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। इसीलिए श्रद्धालु यहां पर भी बहुत आते हैं।
वासुकी ताल झील
वासुक ताल झील केदारनाथ से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पर झील का एवं झील के आसपास का, प्राकृतिक हरा-भरा सौन्दर्य और पहाड़ जैस लुभावने दृश्यो से पर्यटकों का मन विभोर हों जाता हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने, इसी वासु की ताल झील के अंदर, रक्षाबंधन के पावन पर्व पर स्नान किया था।
इसीलिए इस झील का और भी महत्व हो जाता है। और झील के आसपास का खुला प्रकृति का हरा भरा वातावरण, जिससे यहां पर आने वाले पर्यटकों के मन को सुकून और बहुत शांति मिलती है।
केदारनाथ में प्रसिद्ध खान पान के व्यंजन
केदारनाथ हिंदुओं का धार्मिक स्थल होने के कारण, यहां पर शराब एवं मांसाहारी भोजन पूर्ण रूप से वर्जित है।
केदारनाथ में पूरे भारत के प्रसिद्ध व्यंजनों के अलावा, चीन का फास्ट फूड भी बहुत मिल जाता है।
केदारनाथ के अंदर यहां का लोकल गढ़वाली और कुमाऊंनी खानपान परोसा जाता है। जिसका लोकल स्वाद एक अलग ही अंदाज में होता है। यह सवाल कहीं और नहीं मिलता।
केदारनाथ के अंदर बहुत सारे रेस्टोरेंट ढाबे है। वहां पर आपको स्थानीय व्यंजनों के अलावा, भारत के प्रसिद्ध खानपान की डीस मिल जाती है।
आलू के गुटके कुमाऊंनी
आलू के गुटके यह व्यंजन उत्तराखंड का लोकल व्यंजन है, जो काफी प्रसिद्ध है। पूरे उत्तराखंड में यह सभी जगह मिल जाता है।
इस को आसानी से तैयार भी किया जा सकता है, और यह खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है।
इस व्यंजन को बनाने में आलू उसके साथ लाल मिर्च, धनिया और अन्य मसालों से इस प्रकार चटपटा बनाया जाता है, जिसका स्वाद बहुत ही अधिक होता है।
पहाड़ी लोगों का यह प्रमुख व्यंजन है।इसीलिए इस व्यंजन को केदारनाथ आए तो जरूर टेस्ट करें।
चौंसु
यह एक पहाड़ी व्यंजन है, जिसे काली दाल से बनाते हैं। सबसे पहले काली दाल को भून लिया जाता है।
फिर उसे पीसकर अन्य मसाले मिलाए जाते हैं। फिर पकाया जाता है, उसके बाद यह बनता है। इस व्यंजन को चावल या फिर रोटी के साथ भी भरोसा जाता है।
कोड की रोटी
कोड की रोटी- यह स्थानीय गढ़वाली व्यंजन है, जो लोकल लोगों में बहुत ही प्रसिद्ध है। यहां पर एक कोड अनाज होता है, जिसकी रोटी बनाई जाती है।
इसको तैयार करने के लिए इसके अंदर दाल वगैरा भी मिलते हैं। यह खाने में स्वादिष्ट और स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होती है।
क्योंकि इसके अंदर आयरन और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं।
दुबुकी
दुबुकी उत्तराखंड का एक पारंपरिक एवं खास अवसरों पर बनाए जाने वाला व्यंजन है। उत्तराखंड के अंदर यह रेस्टोरेंट में हर जगह मिल जाता है।
इसको बनाने के लिए हर प्रकार की दाल की ग्रेवी की जाती है।
इसको बनाने की विधि सरल है लेकिन ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
दालों की स्ट्रोक के अंदर चावल का आटा मिलाते हुए धीमी आस पर पकाया जाता है। फिर इसके अंदर बहुत ही मसाले जो लोकल होते हैं, और बहुत सुगंधित होते हैं, मिलाए जाते हैं।
जिसकी वजह से इसकी खुशबू भी बढ़िया होती है, और खाने में बहुत स्वादिष्ट बनता है।
कुमाउनी रायता
कुमाउनी रायता उत्तराखंड का लोकल और प्रसिद्ध व्यंजन है। यह एक तरह का भजन है, जिसे ताजा खाया जाता है, खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है।
कुमाऊनी रायता को बनाने के लिए, स्थानीय जड़ी बूटियों के साथ ककड़ी, धनिया और दही का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ भिन वेराइटी की सब्जियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर इसके अंदर मिलाया जाता है ।
इस रायते का उपयोग आप कभी भी कर सकते हो। चाहे सुबह का नाश्ता हो या दोपहर का भोजन या फिर रात में डिनर।
यह विशेष प्रकार का रायता उत्तराखंड के इसी लोकल इलाके में ही मिलता है, इसीलिए आप इसका स्वाद जरूर चखे।
भट्ट की चुरकनी
उत्तराखंड की लोकल काली सोयाबीन से बना हुआ, यह पहाड़ी व्यंजन यहां का बहुत ही प्रसिद्ध फूड है। इसको बनाने के लिए सोयाबीन पेस्ट के साथ चावल का पेस्ट भी मिलाया जाता है।
यहां की लोकल जड़ी बटियों को मिलाकर बनाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक और स्वादिष्ट होता है।
यह व्यंजन कुमाऊनी समुदायों में प्रसिद्ध है, इसके अंदर प्रोटीन और फाइबर भारी मात्रा में होता है।
केदारनाथ कैसे जाए?
केदारनाथ की यात्रा के लिए आप कोई भी प्रकार का मार्ग चुन सकते हैं। केदारनाथ हवाई यात्रा, रेलवे मार्ग और सड़क मार्ग सभी से जुड़ा हुआ है।
अगर रेल मार्ग की बात करी जाए तो, केदारनाथ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टैंड ऋषिकेश है। जो केदारनाथ से 215 किलोमीटर दूर है।
ऋषिकेश के बाद आपको गौरीकुंड जाना पड़ेगा टैक्सी या सार्वजनिक वाहन से। फिर आगे आप केदारनाथ की यात्रा कर सकते हैं।
अगर आप केदारनाथ यात्रा के लिए हवाई मार्ग सुनते हैं, तो केदारनाथ का नजदीक में कोई एयरपोर्ट विशेष नहीं है। केदारनाथ का नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून है। देहरादून के लिए भारत के बड़े शहरों से फ्लाइट आती है।
केदारनाथ की यात्रा के लिए आप सार्वजनिक बस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। उत्तराखंड राज्य के बड़े-बड़े शहरों से आपको बसों की सुविधा मिल जाती है। जो डायरेक्ट गौरीकुंड के लिए आती हैं, फिर आगे आप अपनी टैक्सी ले सकते हैं।
केदारनाथ में रहने की व्यवस्था
केदारनाथ के अंदर सरकार द्वारा भी ठहरने के लिए विशाल टेंट की सुविधा उपलब्ध है। केदारनाथ में हर साल लाखों की संख्या में दर्शन करने के लिए श्रद्धालु लोग आते हैं।
इसके अलावा यहां पर कई सारी धर्मशालाएं भी है। केदारनाथ में पर्यटन स्थल बड़ा होने के कारण यहां पर सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध है।
केदारनाथ के नजदीकी छोटे-छोटे शहरों में भी काफी अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जैसे गौरीकुंड, सीतापुर, रामपुर। केदारनाथ जाने से पहले अगर ऑनलाइन चेक कर ले कि कौन सी होटल और रूम है।
केदारनाथ सैर (घूमने) करने कब जाएं?
केदारनाथ के अंदर मौसम खराब रहता है। केदारनाथ सिर्फ 6 महीने के लिए ही खुला रहता है।
अगर आप केदारनाथ की यात्रा का प्लान बना रहे हैं, तो आपके लिए सितंबर महीने से लेकर अक्टूबर के महीने का, या फिर आप मई या जून का महीना सबसे उपयुक्त समय है।
क्योंकि इन्हीं महीना में यहां बर्फ पिघल चुकी होती है। और ठंड भी नहीं होती है, और बारिश भी सामान्य रहती हैं। जिसकी वजह से आप यात्रा का अच्छी तरीके से मजा ले सकते हैं।
FAQ
आज के इस पोस्ट के अंदर हमने केदारनाथ में घूमने के स्थान (Kedarnath Me Ghumne ke sthaan) और इस यात्रा से जुड़ी हुई पूरी डिटेल आपको प्रदान की है।
हमें आशा है कि यह लेख places to visit in Kedarnath आपको पसंद आया होगा। यदि आप इस लेख केदारनाथ में घूमने के स्थान (Kedarnath Me Ghumne ke sthaan) से संबंधित कोई भी सवाल है। तो आप कमेंट करके जरूर हमें बताएं।
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