पूरी, भारत के उड़ीसा राज्य में, समुद्र तट के पास स्थित एक पर्यटन स्थल एवं आध्यात्मिक का बड़ा शहर है। पुरी के अंदर भगवान जगन्नाथ का मंदिर है। जो विश्व प्रसिद्ध मंदिर है, हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए। पुरी शहर में जगन्नाथ मंदिर के साथ-साथ अन्य कई धार्मिक स्थल एवं मंदिर हैं। जिसकी वजह से यहां पर प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक आते हैं।
आज के इस लेख के अंदर हम पूरी से संबंधित, संपूर्ण जानकारी आपको प्रदान करेंगे।
- पूरी में कौन-कौन से पर्यटन स्थल हैं?
- पूरी की यात्रा किस समय पर करनी चाहिए?
- पूरी जाने के लिए हमें अपने पास किस-किस चीजों की आवश्यकता होती है?
पुरी से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- भगवान जगन्नाथ पुरी की यात्रा पुरी के अंदर होने वाली, यह विश्व प्रसिद्ध है।
- हिंदू धर्म के अनुयायियों के प्रमुख चार धामों में से, पूरी भी एक महत्वपूर्ण धाम है। जहां कृष्ण भगवान का मंदिर है।
- पौराणिक काल में पूरी के अंदर भील जाति के लोगों का शासन था।
- दुनिया का सबसे बड़ा लंगर, पुरी के जगन्नाथ मंदिर में किया जाता है।
- भगवान जगन्नाथ पुरी के मंदिर पर लगा हुआ झंडा, हमेशा हवा के उल्टी दिशा में ही फहराता है।
- भगवान जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज और पक्षी कुछ भी नहीं उड़ता है।
पुरी में घूमने के पर्यटन स्थल| Tourist places to visit in Puri
पुरी बीच
पुरी शहर से ढाई किलोमीटर की दूरी पर, यहां का समुद्र तट है। वह भारत का एकदम साफ सुथरा समुद्र तट है। यहां का पानी कांच के समान दिखता है और इसके अंदर आप स्नान करने का, इंजॉय करने का आनंद ले सकते हैं।
संपूर्ण भारत के अलावा, यहां पर विदेश से भी लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। इसके साथ-साथ यहां पर समुद्र से मिलने वाले जीव एवं मोती का भी व्यापार स्थानीय लोग करते हैं।
नवंबर के महीने में यहां पर पुरी बीच फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। इस महीने यहां पर देश-विदेश से लाखों पर्यटक आते हैं।
जगन्नाथ रथ यात्रा
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा का आयोजन जून और जुलाई के महीने में किया जाता है। इश रथ यात्रा का आयोजन 9 दिनों तक चलता है। इस रथ यात्रा को जगन्नाथ पुरी मंदिर से लेकर, गुंडिचा मंदिर तक ही किया जाता है। भगवान श्री जगन्नाथ एवम् ऊनके भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की रथ यात्रा निकाली जाती है। यह रथ यात्रा बहुत ही बड़ी विशाल होती है। यह रथ यात्रा 5 किलोमीटर तक निकल जाती है। और इसका आयोजन जून और जुलाई के महीने में किया जाता है।
जगन्नाथ मंदिर
जगन्नाथ का मंदिर, भगवान कृष्ण का मंदिर है। और यह उड़ीसा का पूरी शहर भगवान जगन्नाथ को ही समर्पित है। इस मंदिर के अंदर भगवान जगन्नाथ और उनके भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा आदि की मूर्तियां है। उनकी मूर्तियों को लकड़ी से बनाया जाता है, जो एक विशेष प्रकार की लकड़ी होती है। जिसे प्रत्येक 12 वर्ष के बाद बदल दिया जाता है। याहीं नई मूर्ति लगाई जाती है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में गंग वंश के राजाओं ने किया था। इस मंदिर की वास्तुकला बहुत ही बेजोड़ एवं खूबसूरत है।
नरेंद्र पोखरी
यह एक बहुत बड़ा पवित्र तालाब है, जो मंदिर से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस पोखरी का निर्माण 15वीं शताब्दी में किया गया था। इस तालाब के बीचो-बीच एक छोटा सा मंदिर भी है।
आने वाले श्रद्धालुओं के स्नान के लिए, यहां पर सोलह घाटों का निर्माण भी किया हुआ है। इस तालाब के मुख्य घाट का नाम चंदन पुष्कारिणी है। यहां पर वैशाख महीने के अंदर चंदन यात्रा फेस्टिवल नाम का आयोजन होता है। जिसके माध्यम से यहां पर स्थित छोटे बड़े सभी मंदिरों की मूर्तियों पर चंदन का लेप लगाया जाता है। फिर इस पवित्र तालाब से स्नान भी करवाया जाता है।
लोकनाथ मंदिर
यह भगवान शिव का बहुत ही प्राचीन मंदिर है। इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम ने, इसी स्थान पर भगवान शिव की आराधना की थी। इसीलिए भी यह मंदिर प्रसिद्ध है। वास्तु कला का यह मंदिर एक बेजोड़ नमूना है। इस मंदिर को चार खंडों में बनाया गया है। इस मंदिर के अंदर भगवान सत्यनारायण, विष्णु एवं लक्ष्मी जी की मूर्तियां स्थापित है। यह मूर्तियां सभी पीतल की बनी हुई है। मंदिर का गर्भ ग्रह है वहां पर शिवलिंग स्थापित है। जो हमेशा पानी के अंदर ही रहता है। इस शिवलिंग के ऊपर हमेशा गंगा नदी की धारा का प्रवाह चलता रहता है। सावन महीने के प्रत्येक सोमवार को यहां पर बड़ा मेला लगता है।
गुंडिचा मंदिर पुरी
यह मंदिर भगवान जगन्नाथ के मोसी का घर माना जाता है। गुंडिचा मंदिर पुरी, भगवान जगन्नाथ के मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। भगवान जगन्नाथ की यात्रा इसी मंदिर में आकर समाप्त होती है। इस मंदिर का निर्माण कालिंग वास्तुकला की शैली से बनाया गया है, जो हल्के भूरे रंग की है। इस मंदिर की सुरक्षा के लिए, मंदिर के चारों तरफ बहुत ही बड़ी विशालकाय दीवार बनी हुई है। जिसकी हाइट 20 फिट है और चौड़ाई 5 फीट। इस मंदिर का निर्माण महारानी गुंडिचा ने किया था।
जगन्नाथ पुरी में प्रसिद्ध स्थानीय भोजन || Famous Local Food in Jagannath Puri
जगन्नाथ पुरी अपने खान-पान के लिए भी बहुत ही प्रसिद्ध है। यहां पर उड़ीसा के स्थानीय व्यंजन बहुत ही लजीज एवं प्रसिद्ध है। यहां पर स्थानीय व्यंजनों के अंदर खटाई, मीठे एवं तीखापन आदि का मिश्रण होता है। यहां पर स्ट्रीट फूड भी बहुत ही प्रसिद्ध है। आईए विस्तार से जानते हैं:
खिचडी
भगवान जगन्नाथ को खिचड़ी का ही भोग लगाया जाता है। इस खिचड़ी को बनाने के लिए शुद्ध घी के साथ दाल, चावल एवं विभिन्न सब्जियों का इस्तेमाल होता है। यहां पर बनाई जाने वाली खिचड़ी का स्वाद एक अलग ही होता है।
चुंगडी मलाई
यह व्यंजन उड़ीसा राज्य का एक लोकप्रिय स्थानीय व्यंजन है। इसको बनाने के लिए नारियल के दूध का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके माध्यम से एक मसालेदार करी बनाई जाती है। इसके अंदर स्थानीय लोकल मसाले का इस्तेमाल होता है, और इसको खाने के लिए चावल के साथ लिया जाता है।
मचा घांत
यह एक मांसाहारी व्यंजन है, इसे बनाने के लिए मछली का उपयोग लिया जाता है। इसके साथ आलू, प्याज, लहसुन एवं अन्य मसाले का प्रयोग करके इसे बनाया जाता है।
छेना पोडा
यह एक प्रकार की विशेष मिठाई है। इसका प्रयोग जगन्नाथ मंदिर में भोग लगाने के लिए भी होता है। यह मिठाई उड़ीसा के हर कोने, नुक्कड़ पर मिल जाती है। इस मिठाई को बनाने के लिए दूध, चीनी, सेना एवं सूजी का इस्तेमाल होता है।
कनिका
यह एक प्रकार का मीठा पुलाव है, जो भगवान जगन्नाथ के छप्पन भोगों में से एक मिठाई है। इसको खाने के लिए चिकन करी आदि के साथ प्रयोग करते हैं।
पाखरा भाटा
इसको बनाने के लिए चावल और दही को साथ में कई घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है। उसके बाद इसको बनाया जाता है। इसको चिकन मटन या मछली के साथ भी लेते हैं।
दाल्मा
इसको बनाने के लिए मूंग दाल, पपीता, कद्दू, बैंगन, आम आदि का उपयोग लिया जाता है। इसका स्वाद बहुत ही लजीज होता है। आने वाले पर्यटकों को इस दलमा व्यंजन का स्वाद जरुर सकता चाहिए।
सनतुला
इसको बनाने के लिए आलू, पपीता, बैंगन आदि के साथ-साथ इसमें विभिन्न प्रकार की सब्जियों का मिश्रण होता है। इन सभी को उबालकर, कम तेल एवं कम मसालों के साथ बहुत ही शानदार तरीके से बनाया जाता है।
पुरी की यात्रा करने कैसे पहुंचे?
अगर आप सड़क मार्ग से पूरी की यात्रा करना चाहते हैं, तो पूरी भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां पर आप अपने खुद का निजी वाहन भी लेकर आ सकते हैं। या फिर सार्वजनिक वाहनों की भी सुविधा उपलब्ध है। पुरी शहर राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा हुआ है, यहां पर यातायात के साधन की सुविधा उपलब्ध है।
हवाई मार्ग की बात करें, तो पूरी का नजदीकी हवाई अड्डा भुवनेश्वर है। जो पूरी से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भारत के प्रमुख बड़े शहरों से, भुवनेश्वर के लिए सिधी फ्लाइट मिल जाती है।
पूरी एक प्रमुख पर्यटन स्थल होने की वजह से, यहां पर रेल मार्ग की सुविधा भी उपलब्ध है। देश के प्रमुख बड़े शहरों से भी पूरी के लिए डायरेक्ट ट्रेन की सुविधा उपलब्ध है। अगर डायरेक्ट ट्रेन ना हो, तो पूरी के आसपास के इलाकों के लिए भी सीधी ट्रेन मिल जाती है।
पुरी में ठहरने की जगह
पूरी एक प्रसिद्ध पर्यटन एवं धार्मिक स्थल होने की वजह से, यहां पर रुकने के लिए छोटे से लेकर बड़े होटल उपलब्ध हैं। आप ऑनलाइन बुकिंग भी कर सकते हैं। समय समय पर इन हॉटल में डिस्काउंट की सुविधा उपलब्ध होती है। पुरी के अंदर रुकने के लिए यहां पर कई सारी धर्मशालाएं भी उपलब्ध है। और वहां पर खाने-पीने की सुविधा भी मिलती है, इसीलिए यह बहुत सस्ती भी पड़ती है।
पुरी कैसे घूमे?
पुरी की सैर करने के लिए आपको बहुत सारी सुविधाएं उपलब्ध है। आप टैक्सी भी ले सकते हैं या साइकिल रिक्शा का भी उपयोग ले सकते हैं। इसके अलावा खुद के वहां से भी घूम सकते हैं।
साइकिल रिक्शा बिल्कुल सस्ता भी पड़ता है, लेकिन उससे समय भी ज्यादा लगता है, घूमने के लिए।