राजस्थान का उदयपुर शहर, झीलों की नगरी के रूप में विख्यात है। उदयपुर राजस्थान का मुख्य पर्यटन स्थल भी है।
उदयपुर के ऐतिहासिक इमारतें ,विभिन्न किले, विभिन्न मंदिर एवं झीले यहाँ के प्रसिद्ध स्थल है।
उदयपुर की मेवाड़ी संस्कृति एक अलग ही झलक प्रस्तुत करती है, और यहां का खान-पान भी बहुत ही स्वादिष्ट है।
Places to visit in Udaipur |
उदयपुर के चारों ओर अरावली की पर्वत श्रृंखलाएं हैं। उदयपुर के अंदर ऊंट की सवारी, नाव की सवारी एवं विभिन्न प्रकार के एडवेंचर की सुविधा उपलब्ध है।
उदयपुर के अंदर उदयपुर टूरिस्ट पैलेस में आपको उदयपुर से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्रदान की गई है।
उदयपुर से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
उदयपुर को विंस सिटी के नाम से भी जाना जाता है।
महाराणा उदय सिंह जी ने सन 1558 ईस्वी में उदयपुर शहर की स्थापना की थी।
उदयपुर के नजदीकी कुंभलगढ़ किला है, जिसकी दीवार बहुत लंबी है, जो विश्व की सबसे लंबी दीवार में दूसरा स्थान है।
उदयपुर को झीलों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है।
उदयपुर में घूमने के प्रमुख पर्यटन स्थल
दूध तलाई झील
यह स्थान एक सनसेंट के रूप में प्रसिद्ध है। मुख्य बस स्टैंड से सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी पर है।
सूर्य अस्त के समय का नजारा देखने के लिए, आप रोपवे द्वारा दूध तलाई झील पर आ सकते है।
जिस प्रकार आप रोपवे के माध्यम से इस स्थान के नजदीक पहुंचते हैं, तो यहां की प्राकृतिक सुंदरता बहुत ही अद्भुत देखने को मिलती है।
यहा का हरा भरा इलाका, झील एवं पहाड़ी इलाका, बहुत ही सुंदर दृश्य देखने को मिलता है।
प्रकृति द्वारा दिए गए इस खूबसूरत दर्श्य को देखने के लिए पर्यटक बहुत तादात में आते हैं।
फतेहसागर झील
यह झील मानव निर्मित द्वारा कृत्रिम झील है।
फतेहसागर झील लगभग 1 किलोमीटर के वर्ग क्षेत्रफल इलाके में फैली हुई है। इस स्थान पर एक बड़ा चिड़ियाघर बना हुआ है।
तथा रेस्टोरेंट की भी सुविधा उपलब्ध है। फतेहसागर झील पर आप अपने परिवार के साथ या बच्चों के साथ पिकनिक मनाने आ सकते हैं।
यह झील तीन दीपों में बंटी हुई है। यहां पर कर वैधशाला भी है। तथा झील के अंदर आप बोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं।
पिछोला झील
पिछोला झील भी एक कृत्रिम झील है। इसका निर्माण 1362 ईस्वी में किया गया था। इसका निर्माण महाराणा लाखा के समय पिंचू बंजारे ने करवाया। यह झील एक बहुत बड़ी झील है।
पिचोला झील के परिवेश के अंदर में हवेली, चबूतरा, संगमरमर से बने मंदिर, महल एवम स्नान घाट आदि है और यह कई सदियों पुराने बने हुए है।
सिटी पैलेस
सिटी पैलेस, यह पैलेस राजस्थान का सबसे बड़ा शाही परिसर है। इस पैलेस का निर्माण महाराज उदय सिंह जी ने 1559 ईस्वी में करवाया था।
सिटी पैलेस को बनवाने में संगमरमर एवं ग्रेनाइट जैसे पत्थरों इस्तेमाल किया गया है। सिटी पैलेस के वास्तुकला की बात करें तो यह यूरोपीय एवं चीनी वास्तु कला का समीश्रण है।
सिटी पैलेस के अंदर कई गुंबद है, तथा कई सारी मीनार भी है। सिटी पैलेस के अंदर दीवारों पर भीती चित्र, चांदी की कलाकारी तथा रंगीन कांच की भी कलाकारी से सुशोभित है।
सहेलियों की बाड़ी
सहेलियों की बाड़ी अपने खूबसूरत झरनों, गुलाब का बगीचा एवं संगमरमर के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है।
इस बड़ी के अंदर एक फवारा भी है, जो बहुत ही पुराना है। और इंग्लैंड से मंगवाया हुआ था। सहेलियों की बड़ी के अंदर एक संग्रहालय है।
जहां पर उदयपुर के शासको एवं शाही परिवार की जानकारी मिलती है।
प्रताप गौरव केंद्र
भारत के महान शासक महाराणा प्रताप की वीरता का प्रमुख केंद्र है। इस स्थान पर मेवाड़ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।
महाराणा प्रताप की धातु से बनी हुई 57 फीट ऊंची प्रतिमा है।
महाराणा प्रताप स्मारक
महाराणा प्रताप को समर्पित यह स्मारक है। उदयपुर की पर्ल हील चोटी पर यह स्मारक स्थित है।
इस स्मारक का निर्माण 18वीं सदी में महाराज भगवत सिंह के द्वारा करवाया गया था। यहां पर महाराणा प्रताप एवं उसके घोड़े की प्रतिमा है।
चेतक घोड़े के ऊपर महाराणा प्रताप विराजमान है। यह 11 फीट ऊंची है एवं 70 टन वजनी है। कास्य से से बनी हुई प्रतिमा है।
इस स्थान पर एक संग्रहालय भी है। जहां पर राजस्थान के इतिहास को संग्रहित करके रखा गया है।
बड़ा महल
इस महल का निर्माण 17वीं शताब्दी में गया है। इसे एक बड़े पत्थर के ऊपर बनाया गया है। बड़ा महल के अंदर एक स्विमिंग पूल भी है।
इस महल की दीवारों पर कांच का दर्पण का कार्य किया हुआ है, जो बहुत ही जटिल एवं विशेष है।
इस महल के अंदर हमें राजपूत शासको के शाही अंदाज आदि की जानकारी मिलती है।
जग मंदिर पैलेस
यह एक ऐतिहासिक महल है, जो तीन मंजिला है। इसका निर्माण महाराणा करण सिंह जी ने 17वीं शताब्दी में करवाया था।
यह पैलेस बालू पत्थर एवं संगमरमर से निर्मित है। पत्थरों के ऊपर शानदार नक्काशी की गई है, जो बहुत ही खूबसूरत है।
इस महल के अंदर अष्टाकार के गुंबद बने हुए हैं। इस महल में मुगलकालीन वास्तु कला का समावेश है। इस पैलेस के अंदर एक शानदार बगीचा भी है।
जहां पर विभिन्न प्रकार के फल फूल के पौधे लगे हुए हैं।
इकलिंगजी मंदिर
यह एकलिंग जी का मंदिर भारत का सबसे पुराना मंदिर के रूप में है। इसका निर्माण 724 ईस्वी में बप्पा रावल के द्वारा करवाया गया था।
इस मंदिर में भगवान शिव की चार मुखी प्रतिमा विराजमान है, जिसकी ऊंचाई 50 फिट है। मंदिर की दीवारों पर शानदार चित्रकारी का नमूना दिया गया है।
जगदीश मंदिर
यह भगवान विष्णु का मंदिर है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की काले पत्थर की प्रतिमा बनी हुई है, जो चारभुजा वाली है।
इस मंदिर का निर्माण 1651 ईस्वी में महाराणा जगत सिंह जी के द्वारा करवाया गया था। ऐसा माना जाता है तत्कालीन समय में भी इस मंदिर के निर्माण में डेढ़ मिलियन के आसपास खर्चा आया था।
नाथद्वारा मंदिर
यह मंदिर भगवान कृष्ण का मंदिर है। जिसके अंदर कृष्ण भगवान की बाल अवतार के रूप में मूर्ति विराजमान है।
यह मंदिर वल्लभ संप्रदाय की प्रधान पीठ के रूप में माना जाता है। यह मंदिर एकदम साधारण तरीके से निर्मित है और इसके अंदर कोई भी शिखर नहीं है।
सज्जनगढ़ पैलेस
यह इमारत 200 साल पुरानी है। इसका नाम यहां के महाराजा सजन सिंह जी के नाम पर रखा गया है। इस पैलेस का निर्माण 1884 ईस्वी में किया गया था।
इस पैलेस को बनाने में संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है और यह शुद्ध राजस्थानी शैली में बना हुआ है।
इस पैलेस में कई सारे गुंबद, स्तंभ एवं झरोखे बनाए हुए हैं। सजन पैलेस की दीवारों पर शानदार नक्काशी उकेरी गई है।
इस पैलेस के अंदर एक राज दरबार का भाव स्थल भी है।
नेहरू गार्डन
फतेहसागर झील के बीच में बना हुआ यह गार्डन बहुत ही सुंदर है। इस गार्डन के एक तरफ उदयपुर शहर है, तो बाकी तीनों ओर अरावली पर्वत की श्रृंखलाएं हैं।
इस गार्डन का नाम भारत के प्रधानमंत्री नेहरू जी के नाम पर रखा गया है और इसका कार्य 1969 ईस्वी में पूरा हुआ था।
यह गार्डन 4.25 एकड़ में फैला हुआ अंडाकार आकार का है। गार्डन के चारों ओर पाम के वृक्ष लगे हुए हैं।
अमराई घाट
अमराई घाट उदयपुर के पिछोला झील के नजदीकी स्थित है। सूर्य अस्त का समय देखने के लिए यहां पर पर्यटक काफी आते हैं।
इस घाट पर फोटो ग्राफि के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। तथा यहां पर रेस्टोरेंट एवं कैफे की भरमार है।
मार्वल वाटर पार्क
यह वाटर पार्क स्विमिंग करने वालों के लिए स्वर्ग है। यहां पर आने वाले पर्यटक स्विमिंग करने का और पानी के अंदर विभिन्न अटखेलिया करने का आनंद लेते हैं।
गुलाब बाग एंड ज़ू
उदयपुर का यह सबसे बड़ा बगीचा है। इस चिड़िया घर के अंदर विभिन्न प्रकार के पशु एवं पक्षी विचरण करते हैं।
यहां पर आप अपने बच्चों या फैमिली के साथ आ सकते हैं।
विन्टेज कार म्यूज़ियम
यह उदयपुर का एक कार संग्रहालय है। यहां पर बहुत पुरानी कारों को संजोकर रखा गया है।
इस संग्रहालय के अंदर पुरानी प्रसिद्ध रोल्स-रॉयस फैंटम कार भी देखने को मिलती है।
अहार संग्रहालय
इस संग्रहालय के अंदर खुदाई के अंदर मिली प्राचीनतम वस्तुओं को संजोग कर रखा गया है।
दसवीं शताब्दी के आसपास की कई सारी वस्तुएं मिट्टी के बर्तन, लोहे के बर्तन, औजार आदि सभी को इस जगह पर संजोग कर रखा है।
यह संग्रहालय उदयपुर शहर से तीन किमी की दूरी पर है। पुरातात्विक वस्तुएं यहां पर देखने को मिलती है।
शिल्प ग्राम
यह एक गांव है। जिसमें आदिवासियों की संख्या ज्यादा है।
यहां पर आदिवासी लोगों का रहन-सहन, संस्कृति एवं उनके परिधान आदि को देखने के लिए पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं।
प्रतिवर्ष दिसंबर के महीने में यहां पर एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। जिसके अंदर हाथ से बनी हुई वस्तुओं को बेचा जाता है।
और यहां की आदिवासी संस्कृति की झलक इस मेले के अंदर देखने को मिलती है। शिल्पग्राम में भ्रमण करने के लिए आप सुबह 11:00 से लेकर शाम 7:00 बजे तक घूम सकते हैं।
इस गांव का भ्रमण करने के लिए आप घोड़ा या ऊंट सवारी का भी आनंद ले सकते हैं। शिल्पग्राम के अंदर परंपरागत शैली के द्वारा बनवाई गई 36 झोपड़ियां भी देखने लायक है।
जयसमंद झील
एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील जयसमंद झील है। इस झील का निर्माण मेवाड़ के महाराणा जयसिंह जी ने सन 1691 में करवाया था।
इस झील की चौड़ाई लगभग 14 किलोमीटर है और यह क्षेत्रफल पूरा 21 किलोमीटर में फैला हुआ है।
भारतीय लोक कला म्यूज़ियम
यह एक लोक कला संग्रहालय हैं। जिसका उद्देश्य यहां की स्थानीय लोक कला, परंपरा एवं संस्कृति के प्रति लोगों में जागरूकता करना था।
इस संग्रहालय के अंदर राजस्थान की पेंटिंग्स, कठपुतली कला, मुखोटे और स्थानीय लोक देवता तथा राजस्थानी संस्कृति के कपड़े एवं यहां के लोक संगीत के वाध यंत्र आदि कई प्रकार की चीजों को संग्रहित रखा है।
हाथी पोल बाज़ार
यह बाजार उदयपुर का प्रसिद्ध बाजार है। क्योंकि इस बाजार के अंदर यहां के लोग की स्थानीय एवं परंपरागत चीज मिलती हैं।
घरों को साज सजावट करने की कई सारी खूबसूरत हाथ से बनी हुई चीज तथा चमड़े के जूते, मोजड़ी कई प्रकार की हस्त निर्मित चीजे राजस्थान के पारंपरिक कपड़े आदि।
बागोर-की-हवेली
यह हवेली पिछोला झील के पास स्थित है। इस हवेली से यहां की स्थानीय मेवाड़ी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।
एक समय में बागोर हवेली महाराणा शक्ति सिंह जी का मुख्य निवास स्थान हुआ करता था। लेकिन समय के साथ इसे संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है।
बागोर हवेली का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया है। इसका निर्माण अमीर चंद बड़वा ने करवाया था।
इस हवेली के अंदर जो संग्रहालय हैं, उसके अंदर कई सारी ऐतिहासिक चीजे जैसे आभूषण, हाथ के पंख, तांबे से बने हुए बर्तन आदि सभी को संग्रहित करके सुरक्षित रखा गया है।
यह हवेली बहुत बड़ी है और इसके अंदर 100 कमरे हैं। और इसकी वस्तु शैली भी बहुत ही अनूठी एवं खूबसूरत है।
उदयपुर के प्रसिद्ध व्यंजन
लिए हम जानते हैं उदयपुर के प्रसिद्ध व्यंजन के साथ-साथ राजस्थान के भी प्रसिद्ध व्यंजनों को।
पान
बनारस वाले पान का आनंद आप उदयपुर के अंदर भी ले सकते हैं। इस स्थान पर एक बहुत पुरानी दुकान है, जो 50 वर्षों से पान बेचने का कार्य करता है, जिसका नाम बंसी है।
इस दुकान पर आपको विभिन्न प्रकार के पान मिल जाते हैं। गुलकंद, सोफ, खजूर, सोफारी से भरे पान के पत्तों का स्वाद बहुत ही अधिक होता है ।
मिनी मिर्ची बड़ा
भारत का लोकप्रिय मिर्ची वड़ा पाव स्ट्रीट फूड आपको उदयपुर के अंदर भी मिल जाएगा।
यहां पर बहुत पुरानी दुकानें हैं, वहां बहुत ही लज्जित स्वादिष्ट वाला मिनी मिर्ची बड़ा पाव बनाया जाता है।
कुछ खास दुकानों का अलग ही बनाने का तरीका होता है। जिसकी वजह से यहां के मिर्ची बड़े बहुत ही प्रसिद्ध है।
बंजारा मुर्ग
यह एक मांसाहारी व्यंजन है। इसको चिकन के द्वारा चिकन को पक्का कर बनाया जाता है।
कचौरी
कचोरी की बात करें तो यह पूरे भारत में प्रसिद्ध है। लेकिन उदयपुर के अंदर बनने वाली कचोरी की बात कुछ और ही होती है।
क्योंकि यहां पर मसालेदार कुरकुरे से बनी हुई कचोरी स्वाद के अंदर बहुत ही बढ़िया होती है।
चाय
दिन की शुरुआत चाय के साथ होती है, लेकिन उदयपुर की चाय एक अलग ही होती है।
यहां पर कई सारे टी स्टालों पर आपको बहुत बढ़िया मसालेदार चाय मिल जाएगी। जिसको यह लोग मिट्टी के कुल्हड़ में देते हैं, जिसका स्वाद बहुत ही अच्छा होता है।
दाल बाटी चूरमा
यह राजस्थान का प्रसिद्ध खाने का व्यंजन है। इसमें दाल होती है, जो मिश्रित कई सारी दलों का एक मिश्रित सूप होता है।
बाटी के अंदर गेहूं और जो ज्वार के आटे की बनी हुई होती है। जिसको घी के अंदर पक्का कर बनाया जाता है।
इसके अलावा कई सारे ऐसे व्यंजन है जो बहुत ही प्रसिद्ध है जैसे
गट्टे की सब्जी (गट्टा करी), कढ़ी पकौड़ा, केर सांगरी, मछली जैसमंडी (मछली करी), उबले अंडे की भुर्जी, मालपुआ, घेवर आदि।
उदयपुर घूमने का सही समय (Best Time to Visit Udaipur)
उदयपुर के अंदर आप घूमने के लिए साल भर में कभी भी आ सकते हैं।
वैसे देखा जाए तो सम मौसम होता है जैसे सितंबर अक्टूबर के महीने में या फिर फरवरी मार्च का महीना हो यहां पर अच्छा रहता है।
सर्दी के मौसम में काफी सर्दी पड़ती है, लेकिन गर्मी के मौसम में बहुत गर्मी भी पड़ती है।
उदयपुर इलाका पहाड़ी एवम् हरा भरा होने की वजह से यहां पर लोग गर्मियों के मौसम में भी आते हैं।
उदयपुर में कहाँ ठहरे?
उदयपुर में ठहरने के लिए बहुत सारी व्यवस्थाएं हैं। यहां पर कई सारी होटलें एवं रिसोर्ट है, जहां पर आप ऑनलाइन बुकिंग कर भी सकते हैं।
यहां पर आपको होटल के अंदर बेहतरीन सुविधाएं मिलती हैं। यहां पर होटल सस्ते से लेकर हाई रेंज के भी उपलब्ध है।
उदयपुर कैसे घूमे?
उदयपुर की सैर करने के लिए आपको बाइक या कर रेंट की जरूरत पड़ेगी। यहां पर कई सारी ट्रैवल एजेंसी आपको बाइक या स्कूटी रेंट पर देते हैं।
ट्रैवल एजेंसियां कार को रेंट देने की सुविधा उपलब्ध करवाती है।
उदयपुर कैसे पहुंचे?
उदयपुर एक बड़ा शहर है और यह पर्यटन स्थल होने के कारण यहां के रेलवे स्टेशन भी है। जहां से आप देश के बड़े-बड़े शहरों से रेल गाड़ियां आती रहती है।
उदयपुर शहर भारत के बाकी बड़े-बड़े शहरों से सड़क मार्ग द्वारा भी जुड़ा हुआ है। यहां पर आने के लिए सार्वजनिक वाहनों के अलावा निजी बसें भी बहुत चलती है, ऐसी कोस, डीलक्स आदि।
उदयपुर में हवाई अड्डा भी है, जो देश के बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, जयपुर से सीधा जुड़ा हुआ है। इसके अलावा इसका दूसरा नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर है, जो इंटरनेशनल हवाई अड्डा भी है।