आज के इस लेख के अंदर हम आपको गोरखनाथ मंदिर के बारे में बताएंगे । गोरखनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर शहर में स्थित है।
गोरखनाथ मंदिर नाथ संप्रदाय के मठों का प्रतिनिधित्व करने वाला प्रमुख मंदिर स्थान है। गोरखनाथ मंदिर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
उसके साथ-साथ यह मंदिर राजनीतिक गलियारों में भी काफी चर्चा का विषय है, आजकल।
गोरखनाथ मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का नाम 11वीं शताब्दी के संत गोरक्षनाथ के नाम पर रखा गया है। गोरखनाथ संप्रदाय बहुत पुराना है। संत गोरक्षनाथ जी ने संपूर्ण भारत की यात्रा की थी।
उन्होंने इस यात्रा के दौरान कहीं ग्रंथ भी लिखे है। गोरखनाथ जी के चेले मत्स्येंद्र नाथ ने नाथ संप्रदाय की स्थापना की थी।
जिस स्थान पर गुरु गोरखनाथ जी ने साधना की थी, उसी स्थान पर ही गोरखनाथ मंदिर बनाया गया है। गोरखनाथ पौराणिक समय में एक बड़ा जनपद था।
यह बहुत प्राचीन शहर है और हिंदू संस्कृति का मुख्य केंद्र भी रहा है। समय परिवर्तन के साथ इस मंदिर पर कहीं हमले भी हुए हैं।
लेकिन आज के समय में यह मंदिर बहुत ही सुंदर और भाव्य बना हुआ है और काफी प्रसिद्ध है।
गोरखनाथ मंदिर में धार्मिक एवम् सांस्कृतिक गतिविधियां
यह एक प्रसिद्ध धार्मिक संस्था भी है। जो नाथ संप्रदाय से संबंधित संपूर्ण मंदिरों का देखरेख करती हैं।
इनका एक मंदिर नेपाल में भी है, जहां भी यही संस्था देखरेख करती है। नेपाल में यह मंदिर गोरख जिले में स्थित है।
हिंदू धर्म की विभिन्न सांस्कृतिक एवं धार्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र है गोरखनाथ मंदिर। मकर संक्रांति के दिन हजारों भक्त खिचड़ी चढ़ाने के लिए गुरु गोरखनाथ जी के मंदिर आते हैं।
गोरखनाथ मंदिर की वास्तुकला
गोरखनाथ मंदिर अपनी अद्भुत वास्तु कला के लिए प्रसिद्ध है। आने वाले पर्यटक लोगों को काफी सुंदर और आकर्षक लगता है।
इस मंदिर के गर्भ ग्रह में गुरु गोरखनाथ जी की मूर्ति विराजमान है। इस मंदिर स्थल के अंदर कई छोटे-छोटे मंदिर भी बने हुए हैं। यह मंदिर 52 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है।
गोरखनाथ मंदिर की राजनीतिक गतिविधि
राजनीतिक गतिविधियों के अंदर गुरु गोरखनाथ मंदिर के मठाधीशों का इतिहास बहुत ही पुराना है।
इसलिए एक सदी से यह मठाधीश राजनीति में बराबर अपनी भागीदारी निभा रहे हैं और जनता की सेवा भी कर रहे हैं।
इस मंदिर के मठाधीश संत दिग्विजय नाथ जी भी देश की आजादी की लड़ाई में भाग लिया था। कई आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
संत दिग्विजय नाथ जी ने हिंदू महासभा का गठन किया था। महंत अवैद्य नाथ भी 1970 से 1989 तक गोरखपुर के सांसद रह चुके हैं।
राम जन्मभूमि आंदोलन में संत अवैद्यनाथ जी ने सक्रिय भूमिका निभाई थी और बीजेपी में शामिल हो गए।
सन 1991 एवं 1996 में गोरखपुर के बीजेपी से सांसद रहे। फिर उनके उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी राजनीति में आ गए।
सन 1998 में पहली बार योगी आदित्यनाथ जी सांसद बने। सन 2017 के चुनाव के बहुमत में बीजेपी की सरकार ने योगी आदित्यनाथ जी को उत्तर प्रदेश राज्य का मुख्यमंत्री बना लिया।
इस प्रकार इस मठ की उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय भूमिका एवं भागीदारी है।
गुरु गोरखनाथ मंदिर सुबह से शाम तक खुला रहता है। यहां पर हिंदू धर्म से संबंधित सभी धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों का आयोजन किया जाता है।
गोरखनाथ मंदिर के आस पास घूमने की जगहें
गुरु गोरखनाथ मंदिर के आसपास कहीं पर्यटन स्थल है, उनके बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।
रेलवे संग्रहालय
गोरखपुर के अंदर रेलवे का संग्रहालय बना हुआ है। जहां पर भारत के अंदर रेलवे की स्टार्टिंग परिस्थितियों से लेकर वर्तमान की आधुनिक रेलवे के बारे में संपूर्ण बताया गया है।
यहां पर एक टॉय ट्रेन की भी सुविधा है, जिसे आप आनंद ले सकते हैं। इस संग्रहालय के अंदर आपको रेलवे के पुराने कोच, पुराने इंजन उनकी बनावट आदि के बारे में जानकारी चित्रों सहित मिलेगी।
गीता वाटिका
गीता वाटिका के अंदर भागवत गीता के संपूर्ण दर्शन को चित्रित किया गया है। हिंदू धर्म से संबंधित लोगों को इस स्थान पर अवश्य आना चाहिए और गीता के बारे में संपूर्ण जानकारी आपको देखने को समझने को मिलेगी।
इमामबाड़ा
यह एक ऐतिहासिक इमारत है। इसका निर्माण 1717 ईस्वी में संत हजरत रोशन अली ने करवाया था। इसी इमारत की वास्तु कला देखने लायक है।
वीर बहादुर सिंह तारामंडल
इस तारामंडल के अंदर प्रतिदिन 3 शो किए जाते हैं। इसके बारे में हमें तारामंडल आदि के बारे में विस्तृत तरीके से दिखाया जाता है।
सूर्य, चंद्रमा, तारे उन सभी की सुंदरता मन मोह लेती है। इस तारामंडल के शो दिन में 1:00 बजे, 3:00 बजे और शाम को 5:00 बजे आयोजित होते हैं।
गोरखनाथ मंदिर में कैसे पहुँचे ?
गोरखनाथ के पास ही 11 किलोमीटर की दूरी पर हवाई अड्डा स्थित है। भारत के किसी भी शहर से आप गोरखनाथ की हवाई यात्रा कर सकते है।
फिर आप हवाई अड्डे से सार्वजनिक वाहन या टैक्सी लेकर गुरु गोरखनाथ मंदिर जा सकते हैं।
गोरखनाथ शहर के अंदर ही रेलवे स्टेशन है। रेलवे स्टेशन से इस मंदिर की दूरी 3.8 किलोमीटर है। रेलवे स्टेशन के बाद आप सार्वजनिक वाहन या टैक्सी या ऑटो भी लेकर मंदिर जा सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा आप देश के किसी भी कोने से गोरखनाथ आ सकते हैं। गोरखनाथ शहर हाईवे से जुड़ा हुआ है।
यहां पर आप सार्वजनिक वाहन या खुद की वाहन से या किसी निजी वाहन से भी गोरखनाथ आ सकते हैं।
Conclusion
हम आशा करते हैं, कि गोरखनाथ मंदिर के बारे में जो जानकारी आपको प्रदान की गई है। यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।
अगर आप भी कुछ नहीं जानकारी चाहते हैं, तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं। हम आगे भी ऐसे ट्रैवल यात्रा से संबंधित जानकारियां प्रदान करते रहेंगे।