नमस्कार दोस्तों, आज के इस लेख के अंदर में आपको द्वारकाधीश मंदिर के बारे में जानकारी देने वाला हूं।
द्वारिका मंदिर गुजरात राज्य के अरब सागर के तट के पास स्थित है। द्वारिका नगरी को श्री कृष्ण भगवान ने बसाया था और यह नगरी यदुवंशियों के राज्य की राजधानी रहा है।
Dwarkadhish Temple |
श्री कृष्ण भगवान का जन्म मथुरा में हुआ था। तथा उनका जीवन यापन बचपन गोकुल में बिता। लेकिन उन्होंने यहां गुजरात में आकर अपना राज्य स्थापित किया था।
हिंदुओं के पवित्र धाम में से यह एक बहुत ही बड़ा पवित्र धाम है।
द्वारकाधीश मंदिर के बारे में धार्मिक महत्व (Dwarkadhish Temple)
धार्मिक ग्रंथ स्कंद पुराण के अनुसार जब श्री कृष्ण ने कंस का वध किया था। तो कंस के ससुर जरासंध ने श्री कृष्ण से बदला लेने के लिए 17 बार मथुरा पर आक्रमण किया था।
लेकिन वह हर बार पराजित होता रहा। लगातार इतनी बार युद्ध होने के कारण स्थानीय निवासियों को बहुत जनधन की हानी होती रहती थी।
तब यहां के स्थानीय निवासियों ने श्रीकृष्ण भगवान से आग्रह किया कि हमें ऐसी जगह पर निवास करवा दिया जाए, जहां यह जून धन की हानी और आक्रमण ना हो।
द्वारिका पहले से ही प्रसिद्ध स्थान था और श्री कृष्ण भगवान को यह बहुत ही पसंद आया और इन्होंने यहां पर अपना राज्य स्थापित कर दिया।
इस राज्य के चारों ओर बड़ी दीवारों की गई तथा चार दिशाओं के अंदर चार दरवाजे भी लगाये। इसीलिए इसका नाम द्वारिका पड़ा।
द्वारिका के अंदर शारदा पीठ मठ है तथा यहां शंकराचार्य की गद्दी है। पश्चिमी भारत का यह महत्वपूर्ण मठ है।
चार धाम यात्रा के अंदर यह महत्वपूर्ण धाम माना जाता है।
द्वारकाधीश मंदिर के बारे में जानकारी ( About Dwarkadhish Temple)
पौराणिक काल में इस नगरी का नाम स्वर्ण नगरी था। लेकिन काल परिस्थितियों के कारण यह नगरी समुद्र के अंदर डूब गई।
लेकिन श्री कृष्ण भगवान का निवास स्थान बिल्कुल नहीं डूबा। श्री कृष्ण भगवान के पोते वज्रनाभ ने इस स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया था। 1472 ईस्वी में मुगल आक्रांताओं ने इसे नष्ट भी किया।
लेकिन बाद के शासको ने इसे वापस पुनर्निर्माण करवाया। वर्तमान में जो मंदिर मौजूद है यह मंदिर चालुक्य वास्तु कला शैली से बना हुआ है 15 या 16वीं शताब्दी के आसपास का है।
द्वारकाधीश मंदिर की बनावट ( Structure of Dwarkadhish Temple)
द्वारकाधीश मंदिर 72 खम्भो के ऊपर बनाया गया है और यह पांच मंजिला विशाल मंदिर है।
मंदिर के अंदर दो द्वार हैं, जिसमें एक मुख्य प्रवेश द्वार है। तथा एक बड़ा सभा हॉल भी है। मंदिर के गर्भ ग्रह में श्री भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित है तथा उनके बाई ओर बलराम जी की मूर्ति स्थापित है।
मुख्य मंदिर के आसपास छोटे-छोटे मंदिर है, जहां विभिन्न मूर्तियां स्थापित है।
द्वारकाधीश मंदिर के शिखर की ऊंचाई 78 मीटर है और इसके ऊपर ध्वजा चढ़ाई जाती है। ध्वजा पर चांद और सूरज अंदर बने हुए होते हैं ।
यह ध्वजा 15 मीटर लंबी होती है।
मंदिर का समय
द्वारिकाधीश मंदिर सुबह 6:00 बजे खुल जाता है और पूरे दिन खुला रहता है। तथा शाम को 7:00 बजे बंद हो जाता है।
- मंगल आरती का समय सुबह 6:30 से 7:00 बजे तक होता है।
- श्रृंगार का समय सुबह के 7:40 से 7:55 बजे तक होता है।
- ग्वाल का टाइम सुबह 8:25 से 8:45 बजे तक होता है।
- राजभोग का टाइम सुबह 10:00 बजे से 10:30 बजे तक होता है।
- शाम को भोग का समय 4:45 से शाम 5:05 बजे तक होता है।
- शाम की आरती का समय शाम को 5:20 बजे से 5:40 बजे तक होता है।
- शयन का टाइम शाम 6:30 बजे से शाम 7:00 बजे के बीच होता है।
द्वारकाधीश मंदिर के आसपास के पर्यटन स्थल | Tourist places near Dwarkadhish Temple
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
भगवान शिव को समर्पित ज्योतिर्लिंग है, यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग है। इस स्थान पर भगवान शिव की 80 फीट लंबी प्रतिमा है।
भगवान शिव जी का ज्योतिर्लिंग होने के कारण, यहां पर लाखों की संख्या में पर्यटक हर साल आते हैं। द्वारिका धीश मंदिर से यह ज्योतिर्लिंग 2.2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
यह मंदिर सुबह से बजे से लेकर दोपहर 12:30 बजे तक खुला रहता है। फिर यह दोबारा मंदिर शाम को 5:00 से लेकर रात 9:30 बजे तक खुला रहता है।
बेट द्वारका
द्वारिका का यह प्राचीन स्थान है, जिसे श्री भगवान कृष्ण का निवास स्थान माना जाता हैं। बेट द्वारका एक द्वीप है इसके चारों ओर समुद्र है।
यहा बिल्कुल शांत वातावरण है। द्वारिका का यह सबसे खूबसूरत स्थान और पवित्र स्थान माना जाता है। बेट द्वारका के मंदिर तक आने के लिए अब तो सड़क मार्ग द्वारा पुल भी बना दिया गया है।
लेकिन पहले ओखा जेट्टी से नाव की सवारी करके आते थे। श्री कृष्ण भगवान को समर्पित मंदिर वल्लभाचार्य द्वारा बनवाया गया है, जो लगभग 500 साल पुराना है।
डॉल्फिन, स्पोर्टिंग, कैपियन आदि यहां पर काफी सुविधा उपलब्ध है।
यह मंदिर सुबह 6:00 बजे खुलता है और 12:00 तक खुला रहता है। फिर दोबारा शाम को 5:00 से लेकर 9 बजे तक खुला रहता है।
समुद्र के किनारे सूर्यास्त के समय का नजारा देखने का बहुत ही सुंदर होता है।
रुक्मणी देवी मंदिर
द्वारिका शहर से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर, भगवान श्री कृष्ण की पत्नी रुक्मणी को समर्पित मंदिर है।
इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर की शानदार महीन नकाशी की गई है, जो वास्तु कला का बेजोड़ उदाहरण है।
गोमती घाट
द्वारकाधीश मंदिर के एकदम पीछे की ओर स्थित गोमती घाट स्थान है, यह बिल्कुल शांत घाट है।
इस स्थान पर गोमती नदी और अरब सागर का संगम स्थान है। सभी लोग यहां पर डुबकी आवश्य लगते हैं। गोमती घाट सुबह 6:00 बजे खुलता है और शाम को 7:00 तक ओपन रहता है।
भादकेश्वर महादेव मंदिर
अरब सागर के तट पर स्थित, यह भगवान शिव को समर्पित मंदिर है।
यहां का वातावरण बिल्कुल शांत रहता है, पास ही समुद्र का नीला पानी, सुनहरी रेत और ठंडी ठंडी हवा आती रहती है।
समुद्र की लहरों की आवाज एक अलग ही सुखद अनुभव कर देती हैं। भादकेश्वर महादेव मंदिर सुबह खुलने का टाइम सुबह 6:00 से लेकर शाम को 7:00 तक खुला रहता है।
द्वारकाधीश मंदिर की सैर करने कैसे पहुंचे ?
द्वारकाधीश मंदिर के पास नजदीकी हवाई अड्डा जामनगर का है, जामनगर की दूरी 126 किलोमीटर है।
रेल मार्ग द्वारा भी आप द्वारकाधीश पहुंच सकते हैं। द्वारकाधीश से रेलवे स्टेशन की दूरी 3 किलोमीटर है। यहां से आप किसी टैक्सी या रिक्शा लेकर इस मंदिर तक आ सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा भी आप द्वारकाधीश मंदिर आ सकते हैं। देश के प्रत्येक कोने से यहां पर सार्वजनिक बसे, निजी बसें आती हैं या खुद का वाहन लेकर भी आ सकते हैं।
द्वारिका में ठहरने की व्यवस्था
द्वारिका के अंदर रुकने के लिए आपको बहुत सारी होटल मिल जाएगी। जहां पर आप आराम से रह सकते हैं।
यहां पर होटल कम कीमत से लेकर लग्जरी टाइप की भी मिल जाएगी। क्योंकि यह एक बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।
यहां पर पूरे देश एवं विदेश से लाखों पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं।
खाने-पीने की भी यहां की व्यवस्था अच्छी है, जहां पर आपको गुजराती खाना मिल जाएगा तथा देश के अंदर प्रसिद्ध अन्य सभी प्रकार के व्यंजन यहां पर मिल जाते हैं।
निष्कर्ष
हमें आशा है कि द्वारिका मंदिर के में बारे में दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी हो।
अगर आपको इसके बारे में कोई सुझाव देना है, तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।