दिसपुर में घूमने के स्थान | Places to visit in Dispur
दिसपुर असम राज्य की राजधानी है। असम राज्य में सर्वाधिक चाय का उत्पादन होता है।
असम राज्य के अंदर आपको यहां की पहाड़ी संस्कृति, आदिवासी जनजीवन, हरी भरी वादियां और लोगों की संस्कृति यहां पर आने वाले लोगो को आकर्षित करती है।
आज के इस लेख के अंदर हम
- दिसपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल क्या है?
- दिसपुर के प्रसिद्ध व्यंजन क्या है?
- दिसपुर में घूमने कब जाना चाहिए?
- दिसपुर की यात्रा कैसे करें?
आदि विभिन्न पहलुओं के बारे में आपको बताएंगे।
दिसपुर के कुछ दिलचस्प तथ्य | Some interesting facts about Dispur
- देवी कामाख्या का विश्व प्रसिद्ध मंदिर दिसपुर में है।
- चाय के बड़े-बड़े बागान दिसपुर में है तथा यहां का चाय मार्केट बहुत ही बड़ा है।
- कोई भी मुस्लिम शासक आज तक असम पर राज नहीं कर सका है।
- असम पर सर्वाधिक राज करने वाले अहोमो है, इनका शासन 600 वर्षों तक रहा।
दिसपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल | famous tourist places in dispur
नवग्रह मंदिर
दिसपुर के पास चित्रशाल की पहाड़ियों पर नवग्रह का मंदिर है। यह मंदिर पूर्ण रूप से नवग्रह से संबंधित हैं।
खगोलविद एवं ज्योतिष का ज्ञान रखने वालों के लिए यह मंदिर बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस मंदिर में बहुत ही ज्यादा तादाद में दर्शन करने के लिए लोग आते हैं।
इस मंदिर के अंदर खगोल पिंड बने हुए हैं, इन खगोल पिंडों की संख्या आठ है। इनके साथ-साथ स्वर्गीय पिंड भी बने हुए हैं, इनकी संख्या 9 है।
यह नवग्रह मंदिर दिसपुर की सबसे ऊंची चोटी पर बना हुआ है। नवग्रह मंदिर का निर्माण अहोम राजा राजेश्वर ने करवाया था, 18वीं शताब्दी में।
इस मंदिर की वास्तुकला बहुत ही शानदार और आकर्षक है।
उमानंद मंदिर
उमानंद मंदिर- यह भगवान शिव जी का मंदिर है। यहां के राजा गदापानी ने इस मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्दी में करवाया था।
इस मंदिर का निर्माण मयूर दीप स्थान पर बना हुआ है। इस मंदिर तक जाने के लिए आपको मोटर बोट का इस्तेमाल करना होगा।
मयूर दीप बहुत ही खूबसूरत और हरा भरा द्वीप है। इस मंदिर का निर्माण 1694 ईस्वी में किया गया था। 19वीं शताब्दी में असम के कारीगरों द्वारा इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था।
जनार्दन मंदिर
इस मंदिर का निर्माण दसवीं शताब्दी में हुआ है, और यह मंदिर शुक्लेश्वर की पहाड़ी पर स्थित है।
इस मंदिर के अंदर ज्यादातर हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयाई आते हैं। यह मंदिर हिंदू और बौद्ध धर्म की मिश्रण वास्तुकला शैली से बना हुआ है।
वसिष्ठ आश्रम
गुरु वशिष्ट जी ने जिस स्थान पर अंतिम सांस ली, वह यही आश्रम है। गुरु वशिष्ट जी ने रामायण महाकाव्य की रचना की थी।
पुरानाे के अनुसार गुरु जी ने खुद ही अपने आश्रम की स्थापना की।
यह आश्रम तीन नदियों के संगम स्थान पर बना हुआ है। इस आश्रम के अंदर भगवान शिव जी का भी एक मंदिर बना हुआ है।
आश्रम के आसपास खाने पीने की तथा रहने की शानदार व्यवस्था भी है। इस स्थान पर अगर आप आते हैं, तो आपको चाहे की नीलामी भी देखने को मिलती है।
श्रीमंत शंकरदेव कला क्षेत्र
श्रीमंत शंकर देव कला क्षेत्र में आपको असम राज्य की संस्कृति के बारे में जानने को मिलेगा।
इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य है असम राज्य की कला और संस्कृति को आने वाले लोगों से रुबरु करवाना।
शंकर देव का भारतीय इतिहास में अच्छा स्थान रखे हैं। आपको इस स्थान पर असम राज्य की पारंपरिक वेशभूषा, खानपान, रहन सहन तथा मूर्तियां, आभूषण, औजार एवं उनके घर आदि के बारे में जानने को मिलेगा।
क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र और संग्रहालय
1994 ईस्वी में इस संग्रहालय को बनाया गया था। विज्ञान तथा शिक्षा में रूसी रखने वाले लोगों को इस स्थान पर अवश्य आना चाहिए।
इस संस्थान के अंदर आपको विज्ञान के क्षेत्र में काफी अच्छी जानकारी प्राप्त होगी। इस संस्थान के अंदर आपको भारतीय नोबेल विजेता वैज्ञानिक तथा उनके आविष्कारों के बारे में जानकारी प्रदान की गई है।
चिड़ियाघर
यह दिसपुर का सबसे बड़ा चिड़ियाघर है। यह चिड़ियाघर 432 एकड़ भूमि क्षेत्र में फैला हुआ है।
तेंदुआ, सफेद बाघ, गैंडा, हिमालयन भालू आदि विभिन्न प्रकार के जानवर इस चिड़िया घर के अंदर आपको देखने को मिलेंगे।
इस उद्यान के पास चिल्ड्रन पार्क भी है, जहां पर आप घूम सकते हैं अपने परिवार के साथ।
सुअलकुचि
प्राकृतिक खूबसूरत नजारे देखने के लिए इस स्थान पर आप आ सकते हैं। यह गांव रेशम उत्पादन के लिए बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है, यहां पर सबसे ज्यादा रेशम का उत्पादन होता है।
इस गांव को पूर्व का मैनचेस्टर के नाम से भी जाना जाता है। इस गांव के अंदर आज भी कई सारे मिट्टी के बहुत ही सुंदर घर बने हुए हैं।
इन घरों को विशेष इस प्रकार से बनाया जाता है, कि सर्दी के मौसम में यह गर्म रहते हैं, तथा गर्मी के मौसम में ठंडे रहते हैं।
इस गांव के अंदर आपको विभिन्न प्रकार के जानवर भी देखने को मिलते हैं। इस गांव के अंदर मंदिर एवं मठ भी बने हुए हैं, जिनको देखने के लिए बहुत पर्यटक आते हैं।
इस गांव के अंदर आपके बेहतरीन शानदार क्वालिटी का कपड़ा भी देखने को मिलेगा। तथा इसकी विभिन्न प्रकार की डिजाइन भी देखने को मिलेगी।
कामख्या देवी मंदिर
दिसपुर के नीलांचल की पहाड़ी पर कामाख्या देवी का मंदिर स्थित है। यह कामाख्या देवी का एक शक्तिपीठ है।
यहां पर तांत्रिक लोग पूजा करने के लिए आते हैं। इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी के समय पर किया गया है। तथा समय-समय पर जीर्णो द्वार भी करवाया हुआ है।
यह कामाख्या देवी का बहुत ही विशाल मंदिर है।
सिद्धेवर मंदिर
भगवान शिव जी को समर्पित यह सिद्धेश्वर मंदिर हैं। यह मंदिर सिद्धेश्वर पहाड़ी पर स्थित है, इसीलिए इसका नाम सिद्धेश्वर मंदिर है।
यहां पर शानदार प्राकृतिक खूबसूरत नजारे हैं, यहां पर भक्तों की भीड़ रहती है।
हाजो
अजू के अंदर आपको हिंदू, मुस्लिम और बौद्ध धर्म तीनों के तीर्थ स्थान मिलेंगे।
गुवाहाटी से इसकी 24 किलोमीटर की दूरी है। यह पवित्र स्थान ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे पर स्थित है।
दिसपुर की यात्रा का समय | Travel time to Dispur
अगर आप दिसपुर की यात्रा करना चाहते हैं, तो आपके लिए नवंबर महीने से लेकर मार्च महीने तक का समय बहुत ही उपयुक्त रहता है।
इस समय यहां पर मौसम शानदार रहता है।
दिसपुर के प्रसिद्ध व्यंजन | Famous Dishes of Dispur
आईए आज हम आपको दिसपुर के प्रसिद्ध व्यंजनों के बारे में बताते हैं।
खार, डक मीट,आलू पिटिका, मसोर टोंगा, गोरूर पायस, पीथा, जाक अरु भाजी आदि विभिन्न प्रकार के यहां पर प्रसिद्ध व्यंजन बनाए जाते हैं, और आने वाले पर्यटक खूब चाव से खाते हैं।
यहां पर स्थानीय व्यंजनों में डक मीट बहुत ही प्रसिद्ध है। हर प्रकार की डिश में डक मीट का व्यंजन अवश्य बनाते हैं।
दिसपुर की यात्रा कैसे करें | How to travel to Dispur
रेल मार्ग
दिसपुर का नजदीकी रेलवे स्टेशन गुवाहाटी है। गुवाहाटी से देश के सभी बड़े शहरों के लिए आपको ट्रेन मिल जाती है।
सड़क मार्ग
दिसपुर आने के लिए आपके नजदीकी सबसे बड़ा बस स्टैंड गुवाहाटी का लगता है।
गुवाहाटी से देश के सभी बड़े शहरों के लिए आपको डायरेक्ट बस की सुविधा मिल जाती है।
यहां पर आपको सार्वजनिक एवं निजी दोनों प्रकार के वाहनों की सुविधा मिलती है।
हवाई मार्ग
दिसपुर का नजदीकी हवाई अड्डा गुवाहाटी लगता है। गुवाहाटी से दिसपुर की दूरी 40 मिनट का समय लगता है।