Bikaner Me Ghumne ki Jagah: राजस्थान घूमने के लिए एक प्रसिद्ध जगह है। यहां पर प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देसी एवं विदेशी पर्यटक भी आते हैं।
राजस्थान के मरुस्थलीय इलाके में स्थित बीकानेर, घूमने के लिए बहुत ही शानदार पर्यटन स्थल है।
बीकानेर को अपनी परंपरागत संस्कृति, कला और इतिहास आदि के बारे में पहचाना जाता है।
आज के इस लेख के अंदर बिकानेर के अंदर स्थित पर्यटन स्थल, बीकानेर की कला और संस्कृति, रहन-सहन, खान - पान आदि के बारे में आपको जानकारी प्रदान करेंगे।
बीकानेर के बारे में दिलचस्प तथ्य
- बीकानेर शहर एक परंपरागत रियासत है।
- बीकानेर की प्रमुख फसल ज्वार, बाजरा और दलहन है।
- चूहों के लिए विश्व प्रसिद्ध करणी माता का मंदिर बीकानेर में ही स्थित है।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊंट महोत्सव का आयोजन बीकानेर में ही होता है।
बीकानेर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल | Bikaner Tourist Places in Hindi
बीकानेर की स्थापना राव बीकाजी द्वारा सन 1488 ईस्वी में की गई थी।
बीकानेर का बहुत ही प्रसिद्ध और लोकप्रिय इतिहास एवं संस्कृति हैं। आईए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से:
बीकानेर डेजर्ट
बीकानेर का यह बीकानेर डिजर्ट बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।
राजस्थान की मरुस्थलीय यात्रा करते हैं, तो आप जैसलमेर, जोधपुर और बीकानेर त्रिकोणीय तीन जिले अपने थार के पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है।
बीकानेर डिजर्ट के अंतर्गत आप ऊंट सफारी और कार सफारी का आनंद ले सकते हैं।
करणी माता मंदिर
करणी माता जी का मंदिर विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। जो चूहों की माताजी के नाम से भी प्रसिद्ध है।
इस मंदिर के अंदर चूहों की संख्या बहुत आयात में पाई जाती है।
करणी माता जी का मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है, बहुत ही शानदार कलाकृति है।
करणी माता जी के मंदिर का निर्माण महाराजा गंगा सिंह जी ने करवाया था। इस मंदिर का गेट चांदी से निर्मित है।
ऐसी मान्यता है की करणी माता जी के पुत्र की मृत्यु हो गई थी। जिसको पुनर्जीवित करने के लिए माताजी ने यमदूतों से विनती की थी, लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं की।
फिर मां करणी माता जी ने देवी का रूप धारण करते हुए अपने पुत्र को जीवित किया। और उन्होंने घोषणा की कि हमारा पूरा परिवार चूहों के रूप में रहेगा ।
इस मंदिर के अंदर लगभग बीस हजार से अधिक चूहे हैं।
गजनेर अभ्यारण
गजनेर वन्य जीव अभ्यारण के अंदर हजारों की तादाद में विभिन्न प्रकार के पशु और पक्षी देखने को मिलते हैं।
यह बीकानेर से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पहले के जमाने मे राजघराने के लोग यहां पर शिकार करने के लिए आया करते थे।
लेकिन यह अब एक वन्य जीव अभ्यारण है, यहां पर वन्य जीवों की सुरक्षा की जाती है।
गजनेर वन्य जीव अभ्यारण के अंदर आप ऊंट की सफारी एवं जीप की सफारी के द्वारा पूरे अभ्यारण का भ्रमण कर सकते हैं और अलग-अलग प्रकार के पशु पक्षियों को देख सकते हैं।
जूनागढ़ किला
राजस्थान अपने किलो और हवेलियों के लिए ही बहुत ही प्रसिद्ध है। इसी प्रकार बीकानेर का जूनागढ़ किला बहुत ही शानदार और प्रसिद्ध है।
इस किले की वस्तु कला एवं कारीगरी शानदार और अद्भुत है। महाराजा राय सिंह जी ने जूनागढ़ किले का निर्माण करवाया था।
यह बहुत ही बड़ा किला है, इस किले को पूरा भ्रमण करने के लिए लगभग 3 घंटे के आसपास का समय लगता है।
लालगढ़ पैलेस
लालगढ़ पैलेस पूरी तरह से एकदम लाल रंग से बना हुआ है, इसीलिए इसका नाम भी लालगढ़ पैलेस रखा हुआ है।
पहले यह लालगढ़ पैलेस एक शानदार टूरिस्ट पैलेस था। फिलहाल इस पैलेस को एक होटल के अंदर तब्दील कर दिया गया है।
लालगढ़ पैलेस के अंदर एक शानदार और खूबसूरत गार्डन लगा हुआ है। जहां पर पर्यटक लोग आराम करने आते हैं।
अंतरराष्ट्रीय ऊंट मेला
बीकानेर का अंतर्राष्ट्रीय ऊंट मेला विश्व प्रसिद्ध मेला है। यह प्रतिवर्ष जनवरी महीने में लगता है।
ऊंट महोत्सव राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में यह मेला विश्व प्रसिद्ध है। इस मेले के अंदर भारत के सभी जगह के ऊंट भाग लेते हैं और अपनी परंपरागत कला को प्रदर्शित भी करते हैं।
इस मेले के अंदर ऊंट को बहुत ही शानदार और खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है और फिर ऊंट दौड़ का भी आयोजन किया जाता है।
इस मेले के अंदर ऊंट को खरीदने और बेचने का भी कार्य किया जाता है। देश के विभिन्न जगहों से यहां पर अच्छी-अच्छी नस्ल के ऊंट आते हैं और उनका व्यापार किया जाता है।
ऊंट अनुसंधान केंद्र
ऊंट अनुसंधान केंद्र के अंदर विभिन्न प्रकार की प्रजातियों के ऊंट देखने को मिलते हैं।
इस अनुसंधान केंद्र के अंदर तीन प्रजातियों के लगभग ढाई सौ के आसपास ऊंट हैं। इस अनुसंधान केंद्र के अंदर आपके ऊंटनी का दूध एवं उसके बने आमलेट भी मिलते हैं।
इस अनुसंधान केंद्र के अंदर आप ऊंट सवारी का भी आनंद ले सकते हैं।
श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर
लक्ष्मी नारायण मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है, बीकानेर का । इस मंदिर के अंदर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
इस मंदिर के अंदर जन्माष्टमी, निर्जला एकादशी, रामनवमी, दीपावली आदि के दिन धूमधाम के साथ मनाया जाता है ।
इस मंदिर के अंदर सभी देवी देवताओं की मूर्तियों को चांदी से बनाया हुआ है। इस मंदिर की कलाकारी अद्भुत है।
गंगा सिंह संग्रहालय
महाराजा गंगा सिंह जी के द्वारा इस संग्रहालय का निर्माण करवाया गया था।
इस संग्रहालय के अंदर राजस्थान के विभिन्न जगह की चित्रकला कलाकारी, टेराकोटा शिल्प, मिट्टी के बर्तन, पुराने सिक्के, उस समय के हथियार आदि के चित्र बने हुए हैं।
इस संग्रहालय के अंदर ऊंट की खाल के ऊपर सोने से चित्र उकेरे हुए हैं। यह सोने की पेंटिंग बहुत ही अद्भुत और शानदार है।
भांडासर जैन मन्दिर
भंडासुर जैन मंदिर, जैन धर्म के लिए बहुत ही प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यहां पर देश और विदेश से काफी तादाद में पर्यटक इस मंदिर पर आते हैं।
बांदा सर के जैन मंदिर की दीवारों और खाबो पर की गई चित्रकारी बहुत ही प्रसिद्ध है, जिसको देखने के लिए लोग आते हैं।
इस मंदिर को बनाने के लिए पीले पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इस मंदिर का निर्माण ओसवाल नामक एक जैन व्यापारी ने करवाया था।
यह मंदिर बहुत ही शानदार और अद्भुत है। इस मंदिर के अंदर आपको चित्रकला और वास्तु
कला का अद्भुत नमूना देखने को मिलता है।